यह क्षेत्र मूल रूप से संरक्षित वन था और इसे असम वन विनियमन के अधीन 1972 में वन्य प्राणी अभयारण्य घोषित किया गया था।
2.
खोनसा के उपायुक्त के प्रयासों से वर्ष 1970 में असम वन विनियमन के अधीन इस क्षेत्र को संरक्षित वन घोषित किया गया और इसके बाद 1972 में इसे वन्य प्राणी अभयारण्य घोषित किया गया।